Author: Kishore Kumar

Spiritual journalist & Founding Editor of Ushakaal.org

मातृत्व की कोमल भावभूमि में जीवन का अंकुर प्रस्फुरित होना प्रकृति की चिरंतन लीला का एक दिव्य अनुष्ठान है। यह सृष्टि का सनातन विधान है, जहाँ प्रेम, त्याग और संरक्षण की छाया में नया जीवन आकार लेता है। जब मातृत्व की यह भावभूमि योग के प्रकाश से आलोकित होती है, तो ब्रह्मी चेतना का विकास होता है, जो आनंदमय जीवन और संतुलित समाज का आधार बनता है।भारतीय दर्शन में गर्भसंस्कार का विशेष महत्व है। मान्यता है कि गर्भकाल में माता के विचार, भावनाएँ और कर्म गर्भस्थ शिशु की मानसिकता, संस्कार और भविष्य के व्यक्तित्व को गहराई से प्रभावित करते हैं।…

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किशोर कुमार //“नंद के आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की….. गोकुल के भगवान की, जय कन्हैया लाल की…… “ जन्माष्टमी के मौके पर ब्रज में ही नहीं, बल्कि देश-दुनिया के तमाम भक्त इस बोल के साथ दिव्य आनंद में सराबोर होते हैं। सर्वत्र उत्सव, उल्लास और उमंग का माहौल होता है और वातावरण भजन-संकीर्तन से गूंजायमान। क्यों? क्योंकि श्रीकृष्ण के चरित्र में एक ही साथ प्रेम, ज्ञान, वैराग्य, धैर्य, उदारता, करुणा, साहस सब कुछ हैं। वे लीलाधर हैं, महान् दार्शनिक हैं, महान् वक्ता हैं, महायोगी हैं, योद्धा हैं, संत हैं….और भी बहुत कुछ। तभी सदियों से सबके हृदय में विराजते हैं। उनकी लीलाओं से प्रेरणा मिलती है कि मानव किस तरह हर अवस्था में, हर परिस्थिति में…

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किशोर कुमार भारत में गैंग रेप की घटनाएं अब चौंकाती नहीं। चेताती जरूर हैं। सरकार इस समस्या से निपटने के लिए कानून बनाती जाती है। पर “ज्यों-ज्यों दवा की, मर्ज बढ़ता ही गया” वाली कहावत चरितार्थ होती है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों में ‘गैंगरेप’ का किसी भी रूप से कोई जिक्र नहीं होता। बेंगलुरू स्थित नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया में क्रिमिनोलॉजी एंड विक्टिमोलॉजी के प्रोफेसर के. चोकलिंगम का बयान हमें याद है। उन्होंने कहा था, ”हमें आंकड़े चाहिए, अपराधियों की प्रोफाइल चाहिए, लेकिन भारत में ऐसा कुछ भी नहीं है।” पर इतना तय है कि गैंग रेप…

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किशोर कुमार// वेदों में आचार, व्यवहार, आध्यात्मिक जीवन, ज्योतिष आदि जीवन के विविध आयाम हैं तो स्वास्थ्य – चिकित्सा भी एक महत्वपूर्ण आयाम है। सच कहिए तो चिकित्सा की पारंपरिक प्रणालियों की जड़ें वेदों में निहित है। चिकित्सा की जितनी भी पारंपरिक प्रणालियों से हम सब वाकिफ हैं, उन सबका संबंध किसी न किसी देवता से माना गया है। वेद ग्रंथों में इसका उल्लेख जगह-जगह मिलता है। जैसे, चरक संहिता हो या सुश्रुत संहिता, दोनों में ब्रह्मा जी को ही प्रथम उपदेष्टा माना गया है। इसी तरह भगवान शिव आदियोगी तो हैं हीं, ऋग्वेद में उनका वर्णन एक चिकित्सक के रूप…

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किशोर कुमार //                                                                 भारत के शिक्षण संस्थानों में छात्रों को यौगिक और आध्यात्मिक शिक्षा का प्रचलन बढ़ना कोई इत्तेफाक नहीं है। बीज पहले से थी, इसे आज नहीं तो कल अंकुरित होना ही था। हमारे वैज्ञानिक संत अनादिकाल से कहते रहे हैं कि आत्मा नित्य है। इसका अस्तित्व शाश्वत है और यह जन्म, मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र से गुजरती है। इसी प्रक्रिया में चेतना का विस्तार होगा और…

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नई दिल्ली। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), मंडी में बीटेक छात्र अब ‘पुनर्जन्म’ और अंतर्यात्रा को एक विषय के रूप में अनिवार्य रूप से पढ़ेंगे। हालांकि आईआईटी के इस फैसले को लेकर विवाद शुरू हो गया है और सोशल मीडिया में पक्ष-विपक्ष में कई तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं।सूत्रों के मुताबिक, इंजीनियरिंग प्रथम वर्ष के छात्रों को “इंट्रोडक्शन टू कंशियसनेस एंड वेलवीइंग” पढ़ाया जाएगा। यह कोर्स भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) विभाग द्वारा पेश किया गया है। भारतीय ज्ञान प्रणाली विभाग की स्थापना सन् 2020 में की गई थी और इसका मुख्य उद्देश्य पारंपरिक भारतीय ज्ञान को बढ़ाना देना है।…

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