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Author: Kishore Kumar
Spiritual journalist & Founding Editor of Ushakaal.org
अनेक बीमारियों की एक दवा – “अजपा जप” योग
किशोर कुमार // अजपा जप योग को लेकर विश्व के अनेक शोध संस्थानों में हुए शोधों के निष्कर्ष चौंकाने वाले हैं। साबित हो चुका है कि यह योग साधना अनिद्रा के शिकार मरीजों के लिए ट्रेंक्विलाइजर है तो हृदय रोगियों के लिए कोरेमिन। यदि सामान्य कारणों से सिर में दर्द है तो यह दर्द निवारक दवा का भी काम करता है। हिस्टीरिया और उच्च रक्तचाप के मरीजों पर इसका सकारात्मक प्रभाव है। पर सबसे चमकारिक असर है मोटापे की वजह से उत्पन्न बीमारियों के मामलों में है। अनुसंधानों से साबित हो चुका है कि अजपा जप योग मनुष्य के शरीर…
महर्षि रमण के बहाने ध्यान साधना की बात
इंग्लैंड के खोजी पत्रकार पॉल ब्रंटन पूर्वी जगत की आध्यात्मिक परंपराओं की खोज करते हुए रमणाश्रम पहुंच गए और महर्षि रमण की आडंबर रहित आध्यात्मिक शक्ति से इतने प्रभावित हुए कि वहीं ठहर गए। उनकी खोजी पत्रकारिता की अंतिम परिणति आध्यात्मिक जिज्ञासु के रूप मे हो गई। उन्होंने स्वदेश लौटकर पुस्तक लिखी – ए सर्च इन सीक्रेट इंडिया। उससे पश्चिमी दुनिया को महर्षि रमण की ध्यान साधना से उत्पन्न अलौकिक ऊर्जा और आध्यात्मिक शक्ति के अद्भुत परिणामों का पता चला। साथ ही अपनी वैज्ञानिक उपलब्धियों के बौनेपन का अहसास भी हुआ। फिर तो वहां वैज्ञानिक अध्यात्म का नया अध्याय शुरू…
अपने जीवन रूपी बगीचे के माली बनिए
परमहंस स्वामी निरंजनानंद सरस्वती // आधुनिक यौगिक व तांत्रिक पुनर्जागरण के प्रेरणास्रोत तथा इस शताव्दी के महानतम संत परमहंस स्वामी सत्यानंद सरस्वती के उत्तराधिकारी और विश्व प्रसिद्ध बिहार योग विद्यालय व विश्व योगपीठ के परमाचार्य स्वामी निरंजनानंद सरस्वती से किसी साधक ने पूछ लिया, “आज के युग में हमारे जीवन में योग की क्या प्रासंगिकता है?” उस दिन स्वामी जी के सत्संग का यही विषय हो गया। वह एक दृष्टांत के माध्यम से योग की प्रासंगिकता पर बड़ी बातें कह गए। यहां प्रस्तुत है स्वामी निरंजनानंद सरस्वती के उद्बोधन पर आधारित यह आलेख, जिसे प्रस्तुत किया है वरिष्ठ पत्रकार किशोर कुमार ने। एक माली के पास एक छोटा-सा…
मन और योग साधना
परमहंस स्वामी निरंजनानंद सरस्वती // योगी की दृष्टि में सौ फीसदी बीमारी मन से उत्पन्न होती है। यह ठीक है कि बीमारियों में परिस्थिति, परिवेश और प्रदूषण सबका योगदान होता है। पर यह कुप्रभाव भी तब होता है जब मन कमजोर पड़ जाए। मधुमेह रोग नहीं है। यह तो चिकित्सकों द्वारा दिया गया नाम है। हमलोगों के भीतर जन्म से ही काम, क्रोध, ईर्ष्या, राग, व्देष, मोह, लोभ आदि है। रोग यही हैं। हमारे जीवन के साथ इनका जैसे-जैसे विकास होता है, मन की अवस्था बिगड़ती है। मन दुर्बल हो जाता है। शास्त्रों में लिखा है कि जन्म, व्याधि, जरा और…
उच्च रक्तचाप के पालनहार हैं? योग-निद्रा है न !
यदि आप गलत जीवन शैली की वजह से उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन के शिकार हो चुके हैं तो कुछ कीजिए न कीजिए, योग्य प्रशिक्षक की देखरेख में उज्जायी प्राणायाम और योग निद्रा योग का अभ्यास नियमित रूप से जरूर कीजिए। अंग्रेजी दवाएं भले इस बीमारी से छुटकारा दिलाने में नाकाम हो यदि आप गलत जीवन शैली की वजह से उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन के शिकार हो चुके हैं तो कुछ कीजिए न कीजिए, योग्य प्रशिक्षक की देखरेख में उज्जायी प्राणायाम और योग निद्रा योग का अभ्यास नियमित रूप से जरूर कीजिए। अंग्रेजी दवाएं भले इस बीमारी से छुटकारा दिलाने में…
कोरोना योद्धा बने भारत के योगी
देश के योग संस्थान और योगी कोरोना महामारी के विरूद्ध योद्धा बनकर मानवता की सेवा में जुटे हुए हैं। वे समयानुकूल योग और आयुर्वेद की विधियां और अपने संदेश ऑनलाइन माध्यमों से जनता तक पहुंचा रहे हैं। इनमें ऐसे योगी और योग संस्थान भी शामिल हैं, जो आमतौर पर ऑनलाइन माध्यमों से दूर ही रहते आए हैं। जनमानस पर इसका व्यापक असर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात की अहमियत समझी है और “मन की बात” कार्यक्रम में योग व आयुर्वेद की महत्ता बताकर न केवल योगियों का मनोबल बढ़ाया, बल्कि योग की तरह ही आयुर्वेद को भी विश्वसनीय तरीके से…
सहज योग विधियों के अद्भुत नतीजे
कोरोना काल में सर्वत्र अज्ञात डर व भय का माहौल है। इस खतरनाक मनोदशा से पूरी दुनिया चिंतित है। ओशो ने इस तरह की मन:स्थितियों पर खूब लिखा। उनके विचार फिर प्रासंगिक हो गए हैं। वे कहते थे – “महामारी से तो लोग मरते ही हैं, महामारी के डर से भी लोग मर जाते हैं। डर से ज्यादा खतरनाक दुनिया में कोई भी वायरस नहीं है।“ सवाल है कि डर से उबरने के उपाय क्या हैं? आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के पास तो केवल नींद की दवा है। जहिर है कि ओशो होते तो ध्यान की बात करते, जीवन-दृष्टि बदलने की बात करते। आज…
खेल बिगाड़ते योग के नीम हकीम
आसनो में भुजंगासन को सर्वरोग विनाशनम् कहा गया है। दुनिया के अनेक भागों में इस पर अनुसंधान हुआ तो पता चला कि इसके लाभों के बारे में हम जितना जानते रहे हैं, वह काफी कम है। इस आसन से शरीर के अंगों को नियंत्रित करने वाला तंत्रिका तंत्र यानी नर्वस सिस्टम दुरूस्त रहता है। यही नहीं, इसका शक्तिशाली प्रभाव शरीर के सात में से चार चक्रों स्वाधिष्ठान चक्र, मणिपुर चक्र, अनाहत चक्र और विशुद्धि चक्र पर भी पड़ता है। यानी प्राणायाम के कुछ फायदे भी मिल जाते हैं। पर कल्पना कीजिए कि हर्निया, पेप्टिक अल्सर, आंतों की टीबी, हाइपर थायराइड, कार्पल टनल सिंड्रोम या फिर रीढ़ की हड्डी…
कोरोना महामारी से दो-चार होते हृदय रोगी
योगनिद्रा में हाइपोथैलेमस ग्रंथि परानुकंपी नाड़ी संस्थान द्वारा दिल तक पहुंचने वाले विद्युत फाइबर्स को तनाव दूर करने के संकेत भेजती है। परिणाम स्वरूप दिल की धड़कन, रक्तचाप और हृदय की पेशियों पर पड़ने वाला भार कम हो जाता है। हृदय को राहत मिलती है। जो हृदय रोगी विभिन्न प्रकार के योगासन न करने की स्थिति में हों, उन्हें नाड़ी शोधन प्राणायाम के साथ ही योगनिद्रा का अभ्यास जरूर करना चाहिए। कोविड-19 वैसे तो मुख्यत: श्वसन तंत्र को प्रभावित करने वाला संक्रमण है। पर इससे हृदय रोगियों पर खासा कहर बरपा है। चिकित्सक और चिकित्सा शोध संस्थान की ओर से हृदय रोगियों…
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